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सरस्वती माँ

।।   *सरस्वती माँ*
            माँ सरस्वती की वंदना
कला-ज्ञान की देवी को है,
शत-शत नमन हमारा ।
हे माँ वीणा-वादिनि!हर लो-
जो अज्ञान  है  सारा ।।
     शत-शत नमन हमारा।।
राष्ट्र विकल- हैरान बहुत है,
कुछ विध्वंसक-अज्ञानी।
जन-जन में वे वहम बिखेरें,
करते हैं मनमानी।
चोरी-हत्या-लूट-पाट कर,राष्ट्र विभाजन चाहें-
उन्हें राह दिखलाओ माते!छाँटो तम-अँधियारा।।
           शत-शत नमन हमारा।।
मातु शारदे,हंस- वाहिनी!
आवो देर न करना ।
यदि विलम्ब कुछ और हुआ,
 दूभर होगा रहना।
लेखक-चिंतक,साधक-सेवक,सब जन तुम्हें पुकारें-
आकर लाज बचाओ माते!दे सद्बुद्धि-सहारा  ।।
            शत-शत नमन हमारा।।
माँ!कर दे अपनी वीणा का,
फिर झंकृत  तार सभी।
पत्थर-दिल जो भ्रष्ट बुद्धि हैं,
बदलें व्यवहार अभी।
कृपा करो,जन त्रस्त राष्ट्र के,क्रंदन करते रहते-
आवो हे संगीत की देवी!यह है राष्ट्र  तुम्हारा ।।
              शत-शत नमन हमारा।।
मेरी भी रसना है प्यासी,
बस ज्ञानामृत ख़ातिर।
एक बूँद बस दे दे माते!
है यह सेवक हाज़िर।
लिखूँ-पढूँ मैं नज़्में ऐसी,जो दें सुख जन-जन को-
सब जन देवें प्यार मुझे अति,चख काव्य की धारा।।
              शत-शत नमन हमारा।।
पथ से भटका पथिक रोशनी,
पा मंज़िल पर जाए।
पा प्रसाद माँ तेरा अद्भुत,
सब सुख अनुपम पाए।
भटके नहीं राह फिर कोई,प्यार करें माटी से-
हो संकल्प एक बस मन में,राष्ट्र सभी को प्यारा।।
             शत-शत नमन हमारा।।
                 ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                    9919446372

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5 Comments

Renu

27-Jan-2023 03:35 PM

👍👍🌺

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बहुत ही बेहतरीन रचना और शब्द संयोजन बेहतरीन

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Abhinav ji

27-Jan-2023 08:53 AM

Very nice 👌

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